हनुमान जी हिंदू धर्म में सर्वोच्च देवता और श्री राम के परम भक्त माने जाते हैं। उनका जन्म चैत्र पूर्णिमा को हरियाणा के कैथल जिले में हुआ था। उन्हें आंजनेय, मारुतिनंदन और केसरीनंदन के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने राम और सीता के पुनर्मिलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और देवी काली के द्वारपाल के रूप में पूजित हैं। शिव पुराण में हनुमान को शिव और मोहिनी के पुत्र के रूप में वर्णित किया गया है। उनकी उपासना से आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन में सकारात्मकता आती है। हनुमान जी चिरंजीवी हैं और आज भी अपने भक्तों की सहायता के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।
हनुमान जी: भक्त, देवता और चिरंजीवी
हनुमान जी का नाम हिंदू धर्म में सर्वोच्च स्थान पर है। वे श्री राम के परम भक्त हैं और उनकी निष्ठा और समर्पण का प्रतीक हैं। हनुमान जी को उनके विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे आंजनेय, मारुतिनंदन और केसरीनंदन।
हनुमान जी का जन्म
हनुमान जी का जन्म त्रेता युग के अंतिम चरण में चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्र नक्षत्र और मेष लग्न में हरियाणा राज्य के कैथल जिले में हुआ था, जिसे पूर्व में कपिस्थल कहा जाता था। माता अंजनी और वानरों के राजा केसरी के पुत्र होने के कारण वे आंजनेय और केसरीनंदन के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। वायु देव के आशीर्वाद से जन्म लेने के कारण उन्हें मारुतिनंदन भी कहा जाता है।
राम भक्त हनुमान
हनुमान जी की गाथाओं में सबसे महत्वपूर्ण घटना श्री राम के साथ उनकी भक्ति और सेवा की है। उन्होंने ही राजा सुग्रीव से राम की मित्रता कराई, जिससे जानकी से राम का पुनर्मिलन संभव हो सका। उनकी निस्वार्थ सेवा और अडिग विश्वास ने उन्हें रामायण के नायक के रूप में स्थापित किया।
देवी काली और हनुमान
कृतिवासी रामायण में हनुमान का संबंध देवी काली से भी माना जाता है। इसके अनुसार, देवी काली ने हनुमान को द्वारपाल होने का आशीर्वाद दिया। इसलिए, देवी मंदिरों के प्रवेश द्वार पर भैरव और हनुमान विराजित होते हैं।
हनुमान और शिव पुराण
शिव पुराण के दक्षिण भारतीय संस्करण में, हनुमान को शिव और मोहिनी (विष्णु का स्त्री अवतार) के पुत्र के रूप में वर्णित किया गया है। कुछ मान्यताओं में, उनकी पौराणिक कथाओं को स्वामी अय्यप्पा के साथ जोड़ा या विलय कर दिया गया है, जो दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में लोकप्रिय हैं।
आत्मविश्वास के लिए हनुमान जी की उपासना
यदि किसी व्यक्ति को आत्मविश्वास की कमी महसूस होती है, या दूसरों के सामने अपनी बात कहने में कठिनाई होती है, तो उसे प्रत्येक मंगलवार को आंजनेय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। यह स्तोत्र आत्मविश्वास बढ़ाने और साहस देने में सहायक होता है।
हनुमान जी की पूजा का महत्व
हनुमान जी की पूजा करने से व्यक्ति को साहस, शक्ति और निष्ठा की प्राप्ति होती है। उनकी भक्ति से व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति मिलती है। हनुमान जी चिरंजीवी हैं, अर्थात वे आज भी पृथ्वी लोक में निवास करते हैं और अपने भक्तों की सहायता के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।
हनुमान जी की भक्ति और पूजा से जीवन में सकारात्मकता और उत्साह का संचार होता है। उनकी निस्वार्थ सेवा और अडिग विश्वास हमें प्रेरणा देते हैं कि हम भी अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना धैर्य और साहस के साथ करें। जय हनुमान!
श्री राम दूत आंजनेय स्तोत्रम् (रं रं रं रक्तवर्णम्)
रं रं रं रक्तवर्णं दिनकरवदनं तीक्ष्णदंष्ट्राकरालंरं रं रं रम्यतेजं गिरिचलनकरं कीर्तिपंचादि वक्त्रम् ।
रं रं रं राजयोगं सकलशुभनिधिं सप्तभेतालभेद्यंरं रं रं राक्षसांतं सकलदिशयशं रामदूतं नमामि ॥ 1 ॥
खं खं खं खड्गहस्तं विषज्वरहरणं वेदवेदांगदीपंखं खं खं खड्गरूपं त्रिभुवननिलयं देवतासुप्रकाशम् ।
खं खं खं कल्पवृक्षं मणिमयमकुटं माय मायास्वरूपंखं खं खं कालचक्रं सकलदिशयशं रामदूतं नमामि ॥ 2 ॥
इं इं इं इंद्रवंद्यं जलनिधिकलनं सौम्यसाम्राज्यलाभंइं इं इं सिद्धियोगं नतजनसदयं आर्यपूज्यार्चितांगम् ।
इं इं इं सिंहनादं अमृतकरतलं आदिअंत्यप्रकाशंइं इं इं चित्स्वरूपं सकलदिशयशं रामदूतं नमामि ॥ 3 ॥
सं सं सं साक्षिभूतं विकसितवदनं पिंगलाक्षं सुरक्षंसं सं सं सत्यगीतं सकलमुनिनुतं शास्त्रसंपत्करीयम् ।
सं सं सामवेदं निपुण सुललितं नित्यतत्त्वस्वरूपंसं सं सं सावधानं सकलदिशयशं रामदूतं नमामि ॥ 4 ॥
हं हं हं हंसरूपं स्फुटविकटमुखं सूक्ष्मसूक्ष्मावतारंहं हं हं अंतरात्मं रविशशिनयनं रम्यगंभीरभीमम् ।
हं हं हं अट्टहासं सुरवरनिलयं ऊर्ध्वरोमं करालंहं हं हं हंसहंसं सकलदिशयशं रामदूतं नमामि ॥ 5 ॥
इति श्री रामदूत स्तोत्रम् ॥
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