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दरिद्रता दूर करने का चमत्कारी स्तोत्र— "दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्रम्", हिंदी अनुवाद सहित

अपडेट करने की तारीख: 1 दिन पहले

यदि आप घोर आर्थिक संकट का सामना कर रहे हों या ऋणग्रस्त हों, व्यापार-व्यवहार में घाटा हो रहा हो तो ऐसे व्यक्तियों को दारिद्रय दहन स्तोत्र से शिवाजी की आराधना प्रतिदिन करनी चाहिए। महर्षि वशिष्ठ द्वारा रचित यह स्तोत्र बहुत ही प्रभावशाली है। यदि संकट बहुत अधिक है तो शिवमंदिर में या शिव की प्रतिमा के सामने प्रतिदिन तीन बार इसका पाठ किया जाए, तो विशेष लाभ होगा।





घोर आर्थिक संकट या ऋणग्रस्तता का सामना करना किसी भी व्यक्ति के लिए अत्यंत कठिन परिस्थिति होती है। व्यापार में हानि और आर्थिक समस्याएं न केवल व्यक्ति को मानसिक तनाव देती हैं, बल्कि परिवार और सामाजिक जीवन पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे समय में, धर्म और आध्यात्मिक उपाय सहारा बन सकते हैं। महर्षि वशिष्ठ द्वारा रचित "दारिद्रय दहन स्तोत्र" एक ऐसा ही प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसे शिवजी की आराधना के साथ प्रतिदिन पाठ करने से व्यक्ति को विशेष लाभ प्राप्त हो सकता है।


शिवजी का ध्यान कर मन में संकल्प लेने और अपनी मनोकामनाओं को शिवजी के चरणों में समर्पित करने के पश्चात इस स्तोत्र का पाठ प्रारंभ करना चाहिए। यदि संकट अत्यधिक गहरा हो, तो शिवमंदिर में या शिवजी की प्रतिमा के सामने प्रतिदिन तीन बार इस स्तोत्र का पाठ करने से विशेष लाभ होता है। यह न केवल आर्थिक संकटों को दूर करने में सहायक है, बल्कि परिवार में सुख-शांति, सभी प्रकार के पापों की शांति और पुत्र-पौत्र की प्राप्ति के लिए भी अत्यंत श्रेयस्कर है। श्लोकों को मन में पढ़ने की भी सलाह दी जाती है, यदि मौखिक रूप से पाठ करना संभव न हो।


इस प्रकार, "दारिद्रय दहन स्तोत्र" का नियमित जप व्यक्ति के जीवन में आने वाले आर्थिक और पारिवारिक संकटों को दूर करने में सहायक सिद्ध हो सकता है।



विश्वेश्वराय नरकार्णव तारणाय

कर्णामृताय शशिशेखर धारणाय ।

कर्पूरकान्ति धवलय जटाधराय

दारिद्र्यदुःख दहनाय नमश्शिवाय ॥ १॥


गौरीप्रियाय रजनीश कलाधराय

कालान्तकाय भुजगाधिप कणकणाय ।

गंगाधराय गजराज विमर्धनाय

दारिद्र्यदुःख दहनाय नमश्शिवाय ॥ २॥


भक्तप्रियाय भवरोग भयपहाय

उग्राय दुःख भवसागर तारणाय ।

ज्योतिर्मयय गुणनाम सूर्यनृत्यकाय

दारिद्र्यदुःख दहनाय नमश्शिवाय ॥ ३॥


चर्मम्बराय शवभस्म विलेपनाय

फालेक्षणाय मणिकुण्डल मंडिताय ।

मञ्जीरपादयुगलाय जटाधराय

दारिद्र्यदुःख दहनाय नमश्शिवाय ॥ ४॥


पञ्चाननय फणिराज विभूषणाय

हेमाङ्कुशाय भुवनत्राय मण्डिताय

आनन्द भूमि वरदाय तमोपयाय ।

दारिद्र्यदुःख दहनाय नमश्शिवाय ॥ ५॥


भानुप्रियाय भवसागर तारणाय

कालान्तकाय कमलासन पूजिताय ।

नेत्रत्रयाय शुभलक्षण ताकाय

दारिद्र्यदुःख दहनाय नमश्शिवाय ॥ ६॥


रामप्रियाय रघुनाथ वरप्रदाय

नागप्रियाय नरकार्णव तारणाय ।

पुण्याय पुण्यभृताय सुरार्चिताय

दारिद्र्यदुःख दहनाय नमश्शिवाय ॥ ७॥


मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय

गीताप्रियाय वृषभेश्वर वाहनाय ।

मातङ्गचर्म वसनाय महेश्वराय

दारिद्र्यदुःख दहनाय नमश्शिवाय ॥ ८॥


वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वरोग दंडम् ।

सर्वसम्पत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादि वर्धनम् ।

त्रिसन्ध्यं यः पथेन्नित्यं स हि स्वर्ग मवाप्नुयात् ॥ ९॥


॥ इति श्री वसिष्ठ विरचितं दारिद्र्यदहन शिवस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥


हिन्दी अनुवाद


जो विश्व के स्वामी हैं,

जो नरकरूपी संसारसागर से उद्धार करने वाले हैं,

जोत से श्रवण करने में अमृत के समान नाम वाले हैं,

जो अपने भाल पर चन्द्रमा को आभूषण रूप में धारण करने वाले हैं,

जो कर्पूर की कांति के समान धवल वर्ण वाले जटाधारी हैं,

दारिद्र्य रूपी दुःख का नाश करने वाले शिव को मेरा नमन है।

जो माता गौरी के अत्यंत प्रिय हैं,

जो रजनीश्वर(चन्द्रमा) की कला को धारण करने वाले हैं,

जो काल के भी अन्तक (यम) रूप हैं,

जो नागराज को कंकणरूप में धारण करने वाले हैं,

जो अपने मस्तक पर गंगा को धारण करने वाले हैं,

जो गजराज का विमर्दन करने वाले हैं,

दारिद्र्य रूपी दुःख का नाश करने वाले शिव को मेरा नमन है।

जो भक्तिप्रिय, संसाररूपी रोग एवं भय का नाश करने वाले हैं,

जो संहार के समय उग्ररूपधारी हैं,

जो दुर्गम भवसागर से पार कराने वाले हैं,

जो ज्योतिष्स्वरूप हैं, अपने गुण और नाम के अनुसार सुन्दर नृत्य करने वाले हैं,

दारिद्र्य रूपी दुःख का नाश करने वाले शिव को मेरा नमन है।

जो बाघ के आकर्षण को धारण करने वाले हैं,

जो चिताभस्म को धारण करने वाले हैं,

जो भाल में तीसरी आँख धारण करने वाले हैं,

जो मणियों के कुंडल से सुशोभित हैं,

जो अपने चरणों में नूपुर धारण करने वाले जटाधारी हैं,

दारिद्र्य रूपी दुःख का नाश करने वाले शिव को मेरा नमन है।

जो पांच मुख वाले नागराज रूपी आभूषण सेतुबद्ध हैं,

जो सुवर्ण के समान किरणवाले हैं,

जो आनंदभूमि (काशी) को वर प्रदान करने वाले हैं,

जो सृष्टि के संहार के लिए तमोगुणविष्ट होने वाले हैं,

दारिद्र्य रूपी दुःख का नाश करने वाले शिव को मेरा नमन है।

जो सूर्य को अत्यंत प्रिय हैं,

जो भवसागर से उद्धार करने वाले हैं,

जो काल के लिए भी महाकालस्वरूप हैं, और जिनके लिए ब्रह्माजी की पूजा की जाती है,

जो तीन नेत्रों को धारण करने वाले हैं,

जो शुभ लक्षणों से युक्त हैं,

दारिद्र्य रूपी दुःख का नाश करने वाले शिव को मेरा नमन है।

जो राम को अत्यंत प्रिय हैं, रघुनाथजी को वर देने वाले हैं,

जो सर्पों के अतिप्रिय हैं,

जो भवसागररूपी नरक से तारणे वाले हैं,

जो पुण्यवालों में अत्यंत पुण्य वाले हैं,

समस्त देवतापूजा करते हैं,

दारिद्र्य रूपी दुःख का नाश करने वाले शिव को मेरा नमन है।

जो मुक्तजनों के स्वामीस्वरूप हैं,

जो चारों ओर पुरुषार्थों का फल देने वाले हैं,

जो गीत प्रिय हैं और नंदी परमार वाहन है,

गजचर्म को वस्त्ररूप में धारण करने वाले हैं, महेश्वर हैं,

दारिद्र्य रूपी दुःख का नाश करने वाले शिव को मेरा नमन है।


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